Archive for July, 2018

क्षणिकाएँ

Sunday, July 15th, 2018

कुछ लफ़्ज़ों को दी है दावत ग़ज़ल बुनने का ख़्याल लिए, ग़र लब कर बैठे बग़ावत तो ख़ामोशी से पी लेंगे नम आँखों में उतरे ख़्यालों को । क्योंकि, अश्कों की मय में डूबकर ही मुकम्मल होंगे ग़ज़ल के अशआर ।। * जज़्बात का आईना हैं ये आँखें दोस्ती की फितरत आँखों से सीख यारा, […]

यह चाह,यह प्रत्याशा

Wednesday, July 11th, 2018

Everything on earth wants some or the other thing .

नृत्य में मस्त रे

Thursday, July 5th, 2018

प्रकृति के शोर भी कभी-कभी नृत्य में मस्त हो कर किए लगते हैं।

अन्तर्प्यास

Tuesday, July 3rd, 2018

My soul is thirsty ,waiting for an inner shower.Seems the Nature is thirsty too in different spheres.The buds are being crushed by crazy beasts.So no changes.

सुगबुगाहटें

Monday, July 2nd, 2018

Lost the partner, who disappeared without a solid reason.waiting for him life long as inner disturbance troubling her.