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निःशब्द आहट

Friday, October 27th, 2017

निःशब्द आहट (कविता ) शैवालों से घिरा हृदय ऊहापोह में नैराश्य के भँवर में डोल रहा संवेदनाएं संघर्षरत उभरने को अन्तर् -आंदोलित मथित छटपटाहट -। आते हैं चले जाते हैं भाव-ज्वार हालात नहीं कलम उठा करूँ अभिव्यक्त कब मिला आसमां ज़मीं को मेरी अव्यक्त रहने की बोझिल उकताहट -। बो दिए हैं दरीचों में रिसते […]