Archive for July 14th, 2014

गज़ल-‘ख़ता’

Monday, July 14th, 2014

बेहद शिद्दत से पुकारा ज़िंदगी को ‘इश्क’ मेरे दामन में उसने भर दिया | डूबे हैं इस कदर बेख़ुदी में अब कि होश ही दर-किनार रख दिया | मसला सँभलता नहीं मरीज़े-दिल तसव्वुर ने उनके चैन हराम कर दिया | किसको दीजे इल्ज़ाम आशिकी में अपने ही हाथों काम तमाम कर दिया | तन्हाइयों में […]