Archive for January 29th, 2008

धराशायी आत्मा

Tuesday, January 29th, 2008

फ़ीकी पड़ी शालीनता की शान राजनीति में लहूलुहान हुई नेता की आत्मा कूटनीति में बुलंद हौंसलों से चले थे ढोने देश का भार संकीर्ण संविधान के कानूनों ने दी करारी मार | स्पष्ट बहुमत न ले जब एक दल न सँभाले गद्दी प्रतिशत बढाने को एलायंस की मार सहे वही कैसे चले- फिरे, खाए रोटी […]

खिलने दो खुशबू पहचानो

Tuesday, January 29th, 2008

पँखुड़ियों को अनवरत जुड़ने दो उल्लासित कली बन सिहरने दो पवन मदमस्त हो पहुँचती होगी इक- इक पँखुड़ी का आलिंगन लेगी.. धीमे-धीमे आत्मसात हो इतराएगी समाते ही ख़ुशबू चुरा सुगंधित होगी कली रूप धर फूल का बाग़ महकाएगी जपा-फूल नैवेध देव-चरणों में चढाएगी.. डाली से मातृ-स्नेह का अल्प लय-क्षण विस्मित कौतुक जगाता निर्मल पल स्वतः […]