रेखाओं की करवट

दिसम्बर की छुट्टियों में कनु होस्टल से घर आई थी |जी तो चाहता था कि लम्बी तानकर सोई रहे |होस्टल की घंटी से बँधी दिनचर्या से कुछ दिनों के लिए छुटकारा तो मिला |पर कहाँ, मम्मी है कि अपनी अपेक्षाएं संजोए बैठी थीं |कनु आएगी तो यह करूंगी, वह करूंगी |कनु के साथ फलां- फलां के घर जाऊंगी |सो ,घर आकर भी मन की करना कठिन हो गया |आगे……..रेखाओं की करवट Rekhaon Ki Karvat

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