फैसला-दर-फैसला

 तलाक की चर्चा होने पर ईषिता का मन काँप सा उठा, उसके पति पर चरित्रहीन होने का आरोप शत-प्रतिशत सत्य था |इसी से उसका तलाक लेने का फैसला पक्का था |वकील आया, उससे कुछ- कुछ पूछा—फिर कुछ पढ़कर सुनाया |उसके हस्ताक्षर करवाए और चला गया |

निश्चित दिन कुछ रिश्ते-नातेदारों को लेकर ईषिता के पिता अदालत में ईषिता के साथ आए | उन्हीं लोगों के समक्ष ही तो शादी के बंधन में बँधी थी वो | आज उन्हीं की गवाही से शादी का जन्म-जन्मांतर का अटूट बँधन टूटने जा रहा था |संस्कार , समाज , कानून सभी पर हँसने को जी चाहता था ईषिता का | खैर….जज ने जीवन -यापन के लिए खर्चा पूछा तो ईषिता ने कुछ भी लेने से इंकार कर दिया | औपचारिक रूप से एक-दो प्रश्न और पूछने के पश्चात जज ने “तलाक” का फैंसला सुना दिया ,तो ईषिता बेजान सी हो गई | एक क्षण के लिए उसे लगा कि वो पत्थर की बेजान शिला बन गई है | उसे वो क्षण वहीं ठहर गया लगा | रोज़-रोज़ की परेशानियाँ, रोना-धोना , आशाएं-उम्मीदें सभी तो समाप्त हो गया था, इस एक फैंसले से |हैरान थी वो……!क्या वो यही चाहती थी? उसके प्यार का…. उसके जीवन का यह कैसा फैंसला हो गया था? क्या आज वो खुश थी ? नहीं -नहीं … उसकी खुशी तो उसका दामन झटककर राह में ही कहीं गुम हो गई थी | तो क्या छुटकारा…? हाँ , इन हालात में वो छुटकारा ही तो चाहती थी | आज पुनः वह उसी मुकाम पर आकर खड़ी हो गई थी, जहाँ से वह चली थी | तलाक के पेपरों पर साइन करते हुए उसने देखा कि आज उसकी शादी की पहली साल- गिरह थी |भाग्य की विडम्बना! उसी तारीख पर आकर वह शादी टूट गई थी | आज से आज़ाद है वो….(क्या यह संभव था कि वो विचारों से आज़ाद हो सकेगी?) |
ईषिता घर से बाहर अब कम ही निकलती |दुनिया की दो-दो आँखें–उसे चार बनकर अपने ऊपर घूरती जान पड़तीं | “बेचारी” शब्द से नफ़रत थी उसे | उसने अपने को विभिन्न शास्त्रों की किताबों को पढने में बिज़ी कर लिया | और वक्त का पहिया धीरे-धीरे आगे सरकने लगा |तभी एक दोपहर ,ईषिता की माँ के कमरे से उनकी एक सहेली की कुछ बातें उसके कान में पड़ी | किसी के रिश्ते की बात…कि तभी मम्मी बोली कि अभी वो पिछले ग़म से बाहर नहीं निकल पाई है |मैं उसके समक्ष यह प्रस्ताव कैसे रखूँ? यह सुनकर वे चली गईं | ईषिता ने चैन की साँस ली |
कुछ दिन और बीते ,ईषिता की चचेरी बहन इन्दैर से आई | वह चमन के लिए ईषिता का हाथ माँगने लगी |बोली, वे हमारे फैमिली फ्रैंड्स हैं|चमन की एक ही ज़िद है कि यदि वह पुनर्विवाह करेगा , तो केवल ईषिता से -वर्ना कभी भी नहीं करेगा |
ईषिता को छैः वर्ष पूर्व की घटना याद हो आई | दसवीं कक्षा की परीक्षा में वो सारे जिले में प्रथम आई थी |पापा की छाती गर्व से फूली नहीं समा रही थी | सभी बधाई देते व कहते कि बिटिया को खूब पढाना | अपने शहर में गर्ल्स काँलेज था नहीं, व दूसरे शहर में बोर्डिंग में भेजने का तब चलन भी नहीं था | अब आगे उसका क्या होगा–यह सोच- सोच कर ईषिता का दिल बैठा जा रहा था|
उन्हीं दिनों, एक साँझ को एक स्टॅशन वैगन (बड़ी गाड़ी) उनके घर आकर रुकी | पापा के विभाजन पूर्व के लाहौर के दोस्त ,उनकी पत्नि, माता व दो छोटे भाई भीतर से उतरे | चाय-पानी हो चुकने के बाद उन्होंने बताया कि वे अपनी पुरानी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने आए हैं |उनका मँझला भाई(बेहद काला) शादी नहीं कर रहा था इसलिए वे छोटे भाई, जो किसी फिल्मी हीरो से कम आकर्षक नहीं था ;उसके लिए ईषिता का हाथ माँगने आए थे | चमन इंजीनियरिंग पढने के लिए जर्मनी जा रहा था, वे उसके जाने से पूर्व उसका विवाह करना चाह रहे थे |दोनो हर तरह से एक -दूसरे के योग्य थे, किन्तु ईषिता की आगे पढने की ज़िद के सामने सब चुप रह गए | और वे निराश हो वापिस चले गए थे |
बाद में सुना कि शादी के बाद चमन जर्मनी चला गया था | ईषिता भी आगे पढने बोर्डिंग में चली गई थी | उसी काँलेज में चमन की पत्नी भी उसकी सीनियर थी |ईषिता को वो स्मार्ट व काफी सुलझी हुई लगी थी |
पढने के बाद ईषिता के जीवन में बहुत कुछ घटा |फर्स्ट क्लास में बी.ए ,फिर शादी और अब तलाक भी हो चुका था | चमन का ख़्याल तो उसे कभी भूलकर भी नहीं आया था| लेकिन होनी का खेल निराला होता है | सुना कि, चमन अपनी गृहस्थी में खुश था | अभी उसके कोई औलाद भी नहीं थी, कि अचानक एक दिन नायलौन की साड़ी के पल्लू में आग लग जाने से उसकी पत्नी की जलने से मृत्यु हो गई | आज ईषिता व चमन दोनो ही अपने-अपने जीवन में पुनः अकेले हो गए थे | भाग्य ने दोनो को एक ही मोड़ पर लाकर पुनः खड़ा कर दिया था |
ईषिता ने जब पूरी दास्तान सुनी, तो उसे चमन के लिए दुःख हुआ | पर वो स्वयं इतनी टूट चुकी थी कि इस बात पर हालात से समझौता करने को तैयार नहीं हो पा रही थी | सो उसने कहा कि उसे उसके हालात पर छोड़ दिया जाए |कुछ ही दिनों में ख़बर आई कि चमन के सबसे बड़े भाई जो उसके पापा के दोस्त थे , उनका हार्ट-फेल हो गया है | उनकी शादी के सोलह साल पश्चात उनकी बेटी पिछले साल ही तो हुई थी| ईषिता की माँ वहाँ अफ़सोस करने जाना चाहतीं थीं |टाँगों में दर्द के कारण वे अकेले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहीं थीं |सो, ईषिता के साथ वे कार में तीन घंटों का सफ़र तय कर के वहाँ पहुँचीं |चमन तो वहाँ नहीं था, लेकिन हर तरफ़ उसकी बड़ी- बड़ी पोर्टरेट्स दीवारों की शोभा बढा रहीं थीं |वह उनमें बहुत ही आकर्षक लग रहा था | वहीं उसके विपरीत उसका मँझला भाई केवल ,जो वहीं था काला सा -नज़रबट्टू लग रहा था |
अंकल की बेटी ‘पूजा’ बिल्कुल अपनी माँ जैसी गोरी, सुन्दर व नाज़ुक सी थी |रोने-धोने से माहौल काफ़ी भारी हो रहा था |खाने की टेबल पर नाम मात्र का खाना खाकर सब आराम करने अपने-अपने कमरों की ओर चल दिए |पराए बिस्तर पर ईषिता को नींद नहीं आ रही थी | उसकी माँ तो पेनकिलर लेकर जल्दी ही निन्द्रा की गोद में जा चुकी थीं |तभी , अचानक ईषिता के कानों में अजीबो-गरीब आवाजें आकर उसे तंग करने लगीं | वह बचैन होकर करवटें बदलने लगी | कभी रोना, घसीटना, फिर खींचना ,फुसफुसाना कुछ ऍसी ही आवाजें| सस्पेंस में डूबी, आवाज़ की टॉह लेती हुई ईषिता दबे पाँव चलती हुई आंटी के बैड-रूम के बाहर पहुँच गई |भीतर से आती आवजों का कारण जानने के लिए उसने छिपकर भीतर जो देखा, तो देखते ही उसके पाँवों के नीचे की ज़मीन खिसक गई | आंटी और उनके काले देवर ‘केवल’ आपत्तिजनक मुद्रा में थे | वह उसी पल दबे पाँव वापिस आकर साँस रोककर सीधी लेट गई |मानो, अभी कोई आकर उसे दबोच लेगा कि उसने यह सब देखने की हिमाकत कैसे की ? उन दोनों का यह घिनौना रूप उससे सहा नहीं जा रहा था |अंकल तो अपनी पत्नि से बेहद प्यार करते थे , यह हम सब जानते थे | दो-तीन साल हुए उनका भाई ‘ केवल ‘ उनके पास रहने आ गया था, पता चला |ईषिता का दिमाग कड़ियाँ जोड़ने लग गया | सोलह साल बाद हुई औलाद का कारण…और अचानक से अंकल का हार्टफेल…….!!सब कुछ इसी नाज़ायज़ रिश्ते की देन लगे उसे | इन्हीं सब मे डूबे कब सुबह हो गई , ईषिता को पता ही नहीं चला | सुबह जब चलने का समय हुआ तो आंटी ने चमन की बावत ईषिता को पूछा | ईषिता ने आंटी के चेहरे को उपेक्षित करते हुए एक-टूक जवाब ही दे दिया कि वह अब कभी भी शादी नहीं करेगी | उसे आंटी को देखकर उबकाई आ रही थी |जी घृणा से मचल रहा था | माना चमन और उसके जीवन में एक साथ अनहोनियाँ घटीं, लेकिन वह इस परिवार की रहस्यमयी रातों को और नहीं सह पाएगी |एक क्षणिक विचार जो उसके ज़हन में चमन के लिए जन्मा था, उसने वहीं दम तोड़ दिया था| अगला फैंसला…. ? उसने आई.ए एस की तैयारी करने का फैंसला कर लिया था|जीवन में आगे बढने व कुछ बनने के लिए …..!!!!

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