परदेस में दिवाली

सघनघोर तिमिर अमावस का
हुआ नेह दीप से ज्योतिर्मय
स्वर्ण उल्लू वाहन लक्ष्मी का
चाँदी के मूस पर गणपति सजे |
परदेस में बसे इंडियंस के घर
दीपावली का दिखावा जमकर
मुस्काते हैं , अन्तर्मन व्याकुल
स्वदेस की दिवाली को मन आकुल |
चाँदी के थाल लडडुओं के सजे
खानेवाला, लेनेवाला कोई नहीं
बहुत याद आते मंदिर के पंडितजी
चौकीदार, नौकर, बाई और भिखारी |
वो पटाखों, फुलझड़ियों की रात
आँगन में अनार, चकरियों की गूँज
ताश की महफ़िल बैठक के बीच
भरे-पूरे परिवार में आरती की गूँज |
मंगल करण गणपति देना वरदान
अपनी माटी , अपना देश न छूटे
त्यौहारों में भाई-बन्धु हों साथ
दीप से दीप जलें, पूरी हो मन की आस |||
वीणा विज ‘उदित’

2 Responses to “परदेस में दिवाली”

  1. sksingh Says:

    बहुत खोूब

  2. Anil Sahu Says:

    Very nice.

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