तुरपाई एवम् अन्य कहानियाँ…

तुरपाई ..की कहानियाँ आज के दौर में संबंधो में आई तब्दीलियों को पकड़ने का प्रयास  करती हैं , और उन मुद्दों का संवेदनात्मक बोध कराने की तरफ अग्रसर हुई हैं। इसमें 20 कहानियाँ हैं। नई संभावनाओं के संकेत देखिए…

Turpai and Other Stories (तुरपाई तथा अन्य कहानियाँ) – Hindi Short Stories By Veena Vij

तुरपाई
कहानी में पहाड़ी जीवन की विषमताओं और विसंगतियों को सहज रूप से दोहरे “प्रतीकार्थ “में संयोजित  कर स्त्री की बेबसी और संघर्ष की नैतिकता और अनैतिकता को उभारा गया है। “मेरा पल्ला ता फट के तार- तार हो गया इ बीबी ! हुँण कौण करसी तुरपाई ?”

दहलीज
कहानी में बचपन से युवावस्था में प्रवेश करती एक लड़की की मनोदशा , जिसके दृष्टेता वहाँ
के  सन्नाटों के.पहरेदार ..वहां के वृक्ष हैं –उसका वर्णन किया गया है । गुलाबो के तब  और अब के बीच के अंतराल में भटकते किशोरावस्था के सच को फ्रायड-दृष्टि से विश्लेषित किया गया है।

इक फौजी की दास्तान
हर देश के सिपाही बार्डर पर बैठकर अपने देश की बाहरी ताकतों से रक्षा करने को  दृढ़ संकल्प होते हैं ।फिर चाहे वो कोई भी काल हो , कोई भी भूखण्ड हो। – उन्हें वक्त की दुरुहताओं से टकराना ही होता है । “”नूरा और शीला”” की बहादुरी पर दोनों पहाड़ की चोटियों के नाम , “नूरा और शीला ” टॉप रख दिया गया। (इसी कहानी से )

स्वर्ण -हिरण
पंजाब  के जवानों में परदेस जाकर पैसे कमाने की धुन सदा सवार रहती है । फिर वो चाहे किसी भी कीमत पर हो । प्रस्तुत कहानी में भी पैसे कमाने की ललक लिए इसी तरह के दो युवाओं को गर्दिश का सामना करना पड़ता है। इसमें भगवान राम के स्वर्ण हिरण की खोज में रामायण रचने के प्रसंग को सांकेतिक रूप में लिया गया है।

कोहरे के पार
पुरुष का वर्चस्व स्पष्ट दिखाई देने पर ,स्त्री का प्रतिरोध दर्ज होना स्वभाविक ही है। कोहरे में डूबने की अपेक्षा रूही का आशावादी दृष्टिकोण उसे कोहरे से पार ले जाता है । अंतर्मन से पीड़ित वह वर्जनाओं  के अँधेरे से प्रकाश की ओर मुखर होती है।

शह और मात
एक अल्हड़ ,भोली भाली पंजाब की कुड़ी। जिसे परदेस जाने के लालच में पहले अपने .माँ बाप ने शराबी से ब्याह दिया फिर सास ने पोते को अपनी  बेऔलाद बेटी को देने का प्रपंच रचा । अनपढ़ सावी ने कैसे उन सब को मात दी …पढ़िए।

पुनर्जीवा
कन्याओं व् स्त्रियों के शारीरिक उत्पीड़न , यौन शोषण ,बलात्कार , दुष्कर्म एवम कुकर्म की खबरें पढ़ व् सुनकर शैलजा  अपनी नाबालिग बेटी की सुरक्षा को लेकर किस हद तक बेचैन ज़िन्दगी जीती है । और  दहशत भरी ज़िन्दगी से फिर कैसे उबरती है, या पुनर्जीवित होती है पढ़िए इस कहानी में।

धुँए की लकीर
स्त्री पुरुष के अनैतिक संबंधों से हट कर आज समलैंगिक संबंधों ने समाज को उद्वेलित कर  दिया है । हमारा समाज ऐसी घटनाओं से भयभीत होता है और शर्मिंदा भी । ऐसे रिश्तों को समाज में स्वीकृति नहीं मिल सकती । बेशक हम अदालतों में जाकर शोर मचाएं1 अबीर की ज़िन्दगी इस क्रूर सत्य का सामना करने में किस तरह निष्फल रही…..वैज्ञानिक स्तर पर समझ कर भी।

विस्फोट 
साम्प्रदायिक दंगों  व् धर्म की ओट में होने वाले बम विस्फोट कितनी तबाही करते हैं कि इंसानियत भी काँप काँप जाती है । ( इस कहानी से)  ‘ पीहू का सत्य अपने भीतर विस्फोटों
की गूंज आज भी सुनता है ”

अपूर्व पूर्णत्व
नारी — पुरुष के  अंत: संबंधों की गहराई  को गार्गी ने परखा । संबंधों के बीच संघर्षों के विभिन्न आयाम और उनके बीच पनपे तनावों की गहरी पड़ताल करती गार्गी ने स्वंय अपनी
अतृप्त – आकांक्षाओं को कैसे तृप्त किया और अपना अस्तित्व दर्ज कराया ।

अनुमोदन
अमेरिका में जन्मी और पली – बढ़ी कली , बिन माँ – बाप की बच्ची  थी जिसे उसके दादा – दादी ने पाला था ।  “अपने दादु – दादी के प्रति उसका कर्त्तव्य उसके अंतस को पुकार- पुकार कर सचेत कर रहा था कि अब उसे कर्त्तव्य – परायणता निभानी है । “इसलिए वो अपने दोस्तों के साथ “लास वेगस ” घूमने नहीं गई। आगे……

ठहराव
कभी अतीत की मधुर यादें वर्त्तमान  में इतना बेचैन किए रहती हैं कि चारों ओर उनका जूनून
समाया रहता है। वास्तविकता सम्मुख आने पर जब स्वप्न धूल – रंजित होते हैं तभी उनमें ठहराव आता है।

सम्मोहन
कश्मीर में आए विदेशी सैलानियों की भावप्रधान कहानी। विदेशी नारी जो उम्र ,धर्म व् जाति
के बन्धनों को तवज्जो न देते हुए एक नौजवान मुस्लिम हाउसबोट वाले के सम्मोहन में ऐसी जकड़ जाती है कि सब कुछ भूल जाती है ….

अहम को तिलाँजली
नारी कदम – कदम पर विपरीत परिस्थितियों से समझौता करते हुए भावुक और संवेदनशील बनी रहती है जब कि पुरुष व्यवहारिकता का जामा ओढ़े रहता है । वान्या इस अधूरेपन में पूर्णता खोजती रहती । ” Men are from mars .Women are from venus ” इसके अनुरूप ही इस संबन्ध को समझना होगा। ” अहम ” को छोड़ना पड़ेगा। पढ़ें…

मृग मरीचिका
ममता की मारी नीरू बहू की पहली डिलीवरी करवाने अकेली अमेरिका आती है। “आदर न सही , तिरस्कार सह्य नहीं हो पाता किसी से भी। उसने सोच लिया कि  बच्चों का प्यार मृग-मरीचिका है, इसके छल से बचना ही होगा “। इसी कहानी के अंश।

कदमों की थाप
लकड़ी की सीढ़ियों से चढ़ते या उतरते कदमों की थाप आगुन्तक की सोच का राज़ खोल देते हैं। जानिए इस कहानी में।

अंतहीन जीवनधारा
समय के चलते वीरो ने धनपत को चार – चार बेटों का बाप बनाया। किन्तु सारा जीवन उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुरूप सुख देने के उपरान्त भी अपने खून के रिश्तों से बाऊ जी को दुःख व् दर्द ही मिला। उन्हें तलाश थी अबाध गति से बहने वाली अंतहीन जीवनधारा की।

दाल में काला
ऊर्जा ने देवरानी का व्यवहार और देवर की बातें सुनी तो समझ गई कि ” दाल में कुछ काला है ” । पर उस “काले ” को वह दाल में कहाँ ढूंढे ? उसे यह समझना था। जानें…

अनकही
आज के युग में युवावर्ग की प्रेरणा का स्त्रोत बॉलीवुड है। लेखा सिनेतारिकाओं वाले सारे गुणों से सुसज्जित इसके प्रभाव से अछूती कैसे रह पाती ? उम्र के इस नाज़ुक पड़ाव पर बिन परों के ऊँची उड़ान.भरने और फलस्वरूप औंधे मुंह गिर के ज़ख़्मी होने का अंजाम…हो पाया या नहीं। पढ़ें..

कोई अपना
” काश! इस एकाकी जीवन में एक सबल कँधा होता।” अवनि के पास काम के सिवाय समय ही कहाँ था कि दो पल अपने बारे में भी सोचे। बढ़ती उम्र में आलोक के मुँह से प्रशँसा पा अपनी भावनाओं और चाहतों पर वो हैरान थी …

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